GUDDU MUNERI

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अलमारी का भूत

[ अलमारी का भूत ] 



" देखो भाई मैं भूत वूत में विश्वास नहीं रखता,  तुम चलते हो तो बताओ कोई जायदा दूर नही है रास्ता , जंगल के सीधे रास्ते से निकलेंगे और फिर सामने एक सूखा रेतीला रेगिस्तान आएगा बस वही हमे दूर से  एक अलमारी दिखाई दे जाएगी । बस उसी अलमारी में खजाना है  जैसा कि इस नक्शे। में दिखाया गया है " सरफराज ने मलिक से कहा । 


" क्या पता जो नक्शा तुम देख रहे हो वो खजाने का न हो, 

तुम भी सरफराज कुछ भी उठा लेते हो, कहीं से भी , 

तुम्हे ये नक्शा मिला कहां से " 

मलिक, सरफराज से पूछता हुआ बोला । 


सरफराज ने बताया कि -

" ये मुझे उन रिसर्च करने वाले ग्रुप के लड़को से मिला है जो कल रात यहां ठहरे हुए थे और वह अभी अभी आधा गाने पहले उसी जगह गए है " 


यह सुनकर मलिक का डर खत्म हो गया कि वहा और भी लड़के गए हुए है चल ठीक है चलता हूं सरफराज, मलिक को जंगल के रास्ते ले जा रहा था दोनो मजे करते करते जा रहे थे

उन्हे यकीन था कि हम जंगल के रास्ते से सीधा वही अलमारी के पास पहुंच जायेंगे जबकि होटल में ठहरे हुए 3 लड़के सड़क द्वारा चार घंटे में घूम कर पहुंचेंगे और हम आधे घंटे में जंगल पार कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं था । 

     रास्ते में सरफराज को दो आवाज सुनाई दी ! रुक जाओ! 

रुक जाओ ! आवाज और तेज होती गई , रुक जाओ ! लेकिन तेज आवाज सुनने के बाद और रास्ते में कोई न दिखाई दे संभवत: वह डर गए और भागना शुरू किया ।

और इतना तेज भागे की भागते मलिक का पैर वहां से गुजर रहे एक चूहे पर पड़ गया जो जरा घायल हो गया ।


मलिक ने झुककर देखा तो उस चूहे के पैर से खून निकल रहा था चूहा दर्द से कराह रहा था और कुछ देर बाद बोला - 

जो तू लेने जा रहा है वो तुझे नही मिलेगा " 

यह उसे मजाक लगा और सॉरी बोलकर आगे की ओर चल दिया फिर उसे रास्ते में चींटियां दिखाई पड़ी तो उस पर पत्थर फेंक दिया उन चिटियों में से चार चींटियां मार गई ।

मरने वाली चार चींटियों के परिवार के सदस्य बोले की तू जो लेने जा रहा है वो तुझे नही मिलेगा ।

   अब बारी सरफराज की थी कि ठोकर खा कर गिर गया और  देखा की रास्ते में एक मुर्गी थी अब वह सही से चल नहीं पा रही थी सॉरी बोलकर दोनो आगे जाने लगे मुर्गी ने तभी तेज आवाज में कहा -तुम जो चाहते हो वो तुम्हे मिलेगा नही ।

   जा चल थीं है और फिर सरफराज भी चल देता है । कुछ देर बाद वह जंगल को पर कर रेगिस्तान के पास आ हो गए 

   दूर से वो अलमारी दिखाई दे गई लेकिन उस अलमारी के  आसपास कुछ नही था । 

सरफराज और मलिक दोनो खुशी से अलमारी के करीब गए जो आधी जमीन में थी और आधी जमीन के उपर थी । 

सरफराज ने कहा कि चलो इसमें देखते है आखिर क्या है किस तरह का खजाना है सरफराज ने अलमारी के हैंडल पकड़कर जोर लगाना चाहा लेकिन अलमारी नही खुली तब 

मलिक ने कोशिश की " नही खुली " 

वह एक पत्थर उठा लाया और हैंडल को तोड़ दिया 

तब जाकर अलमारी का थोड़ा सा पल्ला खुला लेकिन उसमे कोई जा नही सकता था । 

तभी कुछ दूरी पर सरफराज को एक आरी का पत्ता मिल गया और अलमारी का एक पल्ला जमीन के बराबर से काटना शुरू कर दिया और वह पल्ला काट देने के बाद जब दरवाजा खोलकर देखा तो अचानक दोनो डर गए उसमे एक मुर्गी थी जिसका पर घायल हुआ था बैठी हुई थी , और चूहा निकल कर भागा जिसके पैर में लगी थी और फिर एक कोने में चीटियां भी हो रही थी। 

मलिक बोला - कुछ गडबड है चल वापस  चलते है 

लेकिन सरफराज बोला - ऐसा कुछ नही है तेरा वहम है 

मैं कहता हु चल - मलिक ने कहा 

सरफराज बोला - भाई ऐसा कुछ नही है तुझे वहम हो रहा है 

चल आ खजाना ढूढते है लेकिन अंदर भी एक लॉक लगा हुआ था जिसे खोलना बड़ा मुश्किल था । 

सरफराज ने बहुत कोशिश की कि पत्थर से यह टूट जाए लेकिन लॉक नही खुला और जैसे ही हटकर खड़े हुए 

दो लोग उन्हें वही पास पर लकड़ी जलाते हुए दिखाई दिए लेकिन उनकी शक्ल नही दिखाई दे रही थी इंसान की वेशभूषा में सिर्फ कपड़े दिखाई दे रहे थे । थोड़ा उनके करीब गए तो वह डर गए पीछे से दोनो की गर्दन किसी ने पकड़ ली थी और  वह कोई और नहीं बल्कि अलमारी से निकला एक भयानक चेहरे वाला भूत था जो उन्हें क्कबरदस्ती खींचकर अलमारी में ले जा रहा था धीरे धीरे वह दोनो को अलमारी में ले गया और आखिरी चीख उनकी यही थी कि बचाओ ,बचाओ हमे ! 

लेकिन कोई बचाने नही आया और वो अलमारी का भूत अलमारी में बने एक तहखाने में ले गया जहां सरफराज को सबसे पहले खाना चाहता था और जैसे ही उसने अपने नुकीले दांत सरफराज की गर्दन पर घुसाए उसकी एक चीख निकल गई " छोड़ दो मुझे " "  छोड़ दो मुझे " और डर के मारे उसकी आंखें खुल  गई और खुद को एक बिस्तर पर  पाया । 

 और सोच मैं पड़ गया कि क्या हुआ इतना बुरा सपना देखा मैं बिल्कुल डर गया । 

सरफराज की चीख सुनकर उसके मम्मी पापा भी आ गए -  " बेटा क्या हुआ " " क्या हुआ कोई बुरा सपना देखा " 

सरफराज ने बताया - हा वो अलमारी का भूत 

यह सुनकर सब हंसने लगे हा हा हा


.....….........समाप्त ..............🌻🌻......…

- गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 

आज की प्रतियोगिता हेतु 

- विषय : अलमारी का भूत  

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7 Comments

Shnaya

07-Feb-2024 07:41 PM

Nice

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Gunjan Kamal

07-Feb-2024 06:41 PM

👏👌

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Priyanshu Choudhary

06-Feb-2024 07:22 PM

👍

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